Комментарии:
❤❤👌👌🙏🥰
ОтветитьHar har mahadev jay maa 🙏🙏😭😭
Ответить🙏☘️ओम् नमः पार्वती पतये हर हर महादेव ☘️🙏
ОтветитьJai shri mahakal
Ответить🚩🙏🏻जय मल्लिनाथ🙏🏻🚩
🚩🔱हर हर महादेव🔱🚩
OM JAY SHIVAPARBATI NAMAH 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
JAY SRI GANESH JII🙏🙏🙏🙏🙏🙏
JAY SRI KARTIKEYA JII🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Har har mhadev 🙏🙏
Ответитьपि जे फलिया
Ответить🔥
Ответить❤❤❤❤❤❤💕💞🌸💖❤🕉️Jai Shree Mahakal Maharaj🕉️💖💕💞🌸❤❤❤❤❤
Ответитьजय श्री महाकाल
ОтветитьHar Har Mohadev ❤ 🙏
ОтветитьShree shivay namastubhyam
ОтветитьOM JAY SHIVAPARBATI NAMAH 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
JAY SRI GANESH JII🙏🙏🙏🙏🙏🙏
JAY SRI HANUMAN JII🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Nothing in the Universe better than Shiva❤❤❤ Har Har Adiyogi Mahakal Mahadev🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ОтветитьThere is anyone who know about this movie's name?
ОтветитьOm namah shivaya
ОтветитьHAR HAR MAHADEV
ОтветитьHar Har Mahadev
Jay Maiya Parwati 🙏
Jay Mata Di ❤❤❤
जय जय महादेव
ОтветитьHAR HAR MAHADEV
ОтветитьJai Mahakal❤❤❤🙏🙏🙏
Ответить❤️❤️❤️❤️🔱
ОтветитьJai shree mahakal kon is video ko 2023 me dekh raha hai comment me batao 🕉️🕉️🕉️🕉️
ОтветитьOm namah shivaya 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
ОтветитьMahadev🙏
Ответитьgoosebumps lines "JARA JANMA DUKHAUGH TATAPAYAMANM PRABHO PAHI APPANMAAMISH SHAMBHU "........ WELL DONE AGAM . By The Way My Name Is Also Agam .... 😁
ОтветитьShiv tandav stotram
ОтветитьOM JAY SHIVAPARBATI NAMAH 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
JAY SRI GANESH JII🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
JAY SRI KARTIKEYA JII🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
How to get mp3 verson of this stotram? Pls help
Ответить🕉
ОтветитьAmazing....amazing....every day i listen this....
ОтветитьHar Har Mahadev
Ответить@agam_ plz share the background music if possible, my 8yrs old kid want to sing
ОтветитьJai bhole nath 🙏🚩🚩
ОтветитьAm very very much happy dil mera bharjatha shivaji se God bless you am 71years old man thank you❤🙏🙏🙏
ОтветитьПишу прямым текстом: прикрепите пожалуйста прочтение слов. Я записывю.
ОтветитьHave You Ever Experienced God?
I had once god controlled my whole body I couldn’t do anything except almighty will first I was afraid after few minutes I feel very happy god have watched me 🥹
Namah Shivaya 🙏🙏🙏🌼🌼🌼🌼
ОтветитьNice
ОтветитьOM JAY SHIVAPARBATI NAMAH 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
JAY SRI GANESH JII 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
JAY SRI KARTIKEYA JII 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥> >
हिंदी अर्थ
हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप शिवजी मैं आपको नमस्कार करता हूं।
निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर को मैं नमस्कार करता हूं।
जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिर पर सुंदर नदी गंगाजी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीया का चंद्रमा और गले में सर्प सुशोभित है।
जिनके कानों में कुंडल शोभा पा रहे हैं। सुंदर भृकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्न मुख, नीलकंठ और दयालु हैं। सिंह चर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।
प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किए, भाव के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।
कलाओं से परे, कल्याण स्वरूप, प्रलय करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोह को हरने वाले, मन को मथ डालनेवाले हे प्रभो, प्रसन्न होइए, प्रसन्न होइए।
जब तक मनुष्य श्री पार्वतीजी के पति के चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इस लोक में, न ही परलोक में सुख-शांति मिलती है और अनके कष्टों का भी नाश नहीं होता है। अत: हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले प्रभो, प्रसन्न होइए।
मैं न तो योग जानता हूं, न जप और न पूजा ही। हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं। हे प्रभो! बुढ़ापा तथा जन्म के दुख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुखों से रक्षा कीजिए। हे शंभो, मैं आपको नमस्कार करता हूं।
जो भी मनुष्य इस स्तोत्र को भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं, उन पर भोलेनाथ विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।
Rom Rom mea shib bas jaye aisi vakti karo mitro ❤
Om Namah Shivay ❤🙏🚩
Wonderful bhai aapka har song best he
ОтветитьOm namah shivay 🙏🏻🚩🙏🏻
ОтветитьBest way to remove negativity.
Ответитьनमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥> >